लेखनी प्रतियोगिता -09-Dec-2021
कह लेने से ही तो कभी
खत्म नही हो जाती हैं
ठेस लगा बैठी जो दिल को
तेरी बेरुखी की शिकायत भी
किसी से कर नही सकते
गहरे घाव जो छिपे ही रह जाते हैं
कुछ निशान जरूर दिख जाते है,
लाख कोशिश करो फिर भी
आंसुओं में लिपट लिपट
शिकायत छलक जाती है
कसमों में बंधा बंधन
जाने कब जिम्मेदारियों की
दहलीज़ पर ठिठक गया ,
रिश्तों की सुगंध ,एहसासों की खुशबू
सिर्फ .... एक .......
शिकायत बन क्यूँ रह गए |
शिकायत बन क्यूँ रह गए ?
Pratikhya Priyadarshini
10-Dec-2021 06:55 PM
Wonderful
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Niraj Pandey
10-Dec-2021 04:12 PM
वाह बहुत खूब
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Gunjan Kamal
10-Dec-2021 09:22 AM
Very nice 👌👌
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